खजुराहो मंदिर का रहस्य । खजुराहो मंदिर का निर्माण किसने करवाया
खजुराओ प्राचीन काल की कामसूत्र धरोहर है यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला में स्थित है खजुराहो मंदिर में भारत के प्रचीन काल के समय की कला को प्रदर्शित किया गया है।
खजुराहो मंदिर का निर्माण किसने करवाया
खजुराहो की मूर्तियों का रहस्य । खजुराहो मंदिर का रहस्य
जैसे –
शाक्त दर्शन
खजुराहो में घूमने की प्रमुख जगह। tourist place khajuraho in hindi
1)चौसठ योगिन मंदिर खजुराहो –
2)कंदरिया मंदिर –
3)जवारी टेम्पल –
4)लक्ष्मण मंदिर खजुराहो
5)मतंगेश्वर मंदिर
6) बराह मंदिर
7)जगदम्बी मंदिर खजुराहो
8)विश्वनाथ मंदिर खजुराहो
9)सूर्या मंदिर ( चित्रगुप्त मंदिर )
10)आदिनाथ जैन मंदिर
11)शांतिनाथ
12)महिषासुर मर्दिनि मंदिर
खजुराहो में कौन -कौन से मंदिर है
खजुराहो का इतिहास (History of khajuraho in hindi)
कहा जाता है की प्राचीन काल में शहर की मुख्य द्वार के दोनों तरफ खजूर के पेड़ हुआ करते थे जो शहर की शोभा बढ़ाते इसी बजह से इस स्थान का नाम खजुराहो पड़ गया ।
प्राचीन समय में जब इन मंदिरो का निर्माण जब प्रारम्भ किया गया तब उस समय सभी मंदिरो के निर्माण पूरा होने में लगभग 100 बर्षो का समय लग गया था ।
जब भारत में धर्म प्रवर्तन हो रहा था तब शक्ति साधन एवम पूजन की शुरुआत हुयी इसीलिए खजुराहो के इन मंदिरो में सबसे पहले चौसठ योगिन मंदिर देखने को मिलता है ।
प्रकृति के तीन दिशा में इन मंदिरो को बनबाया गया
- पश्चिम
- पूर्व
- दक्षिण दिशा
इन मंदिरो का निर्माण किया गया जिनमे से पश्चिम और दक्षिण दिशा में बने मंदिरो को हिन्दू धार्मिक से जोड़ा गया ।
इस दिशा में हिन्दू देवी देवताओ को पूरी तरह से समर्पित किया गया । हिन्दू देवी देवताओ को समर्पित मंदिरो में से कुल 8 मंदिर है । उनमे से भगवान् वृषनु मंदिर , 1 गणेश और सूर्या मंदिर 1 तथा 6 भगवान् शिव के मंदिर बने हुए है
खजुराहो का नाम खजूर पेड़ की बजह से पड़ा खजुराहो मंदिर का निर्माण चंदेला साम्राज्य में कराया गया था इस मंदिर का भारतीय कला कृति की बजह से बिश्व धरोहर में स्थान दिया गया है । यहाँ देवताओं, कन्याओं , परियो और नाग कन्याओं की हजारो मूर्तिया है ।
खजुराहो मंदिर का निर्माण किसने करवाया
खजुराहो मंदिर का निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच चंदेला साम्राज्य में कराया गया था राजा चंद्र बारमैन ने ज्यादातर इन मंदिरो को बनबाया था ।
पहले यहाँ पर 85 मंदिर हुआ करते थे धीरे धीरे प्रकृति के प्रकोप की बजाय से टूटते गए अब मौजूद समय में खजुराहो में कुल 22 मंदिर ही बचे हुए है।
यहाँ मुड़े हुए पत्थरो से मदिरो का निर्माण किया गया है खजुराहो में बहुत बड़ी संख्या में जैन धर्म और हिन्दू धर्म के बहुत सारे मंदिर मौजूद है । इनके अलाबा जैन धर्म के तीन मंदिर । खजुराहो का सबसे बड़ा कंदरिया मंदिर भगवान् शिव के लिए बनवाया गया था जो खजुराहो का सबसे बड़ा मंदिर है यह लगभग 6500 वर्ग फुट में फैला हुआ तथा इसकी उचाई 116 फिट है ।
खजुराहो की मूर्तियों का रहस्य । खजुराहो मंदिर का रहस्य
धर्म की दृस्टि से देखे तो खजुराहो के इन मंदिरो में प्राचीन भारत के सभी धर्मो का समनवय देखने को मिलता है उस ज़माने में लोग प्रकृति प्रेमी हुआ करते थे । कहते है की 8 वी शताव्दी के दौरान प्राचीन भारत के बैदिक धर्म से निकले कई अलग धर्म जैसे- हिन्दू , बौद्ध और जैन धर्मो में श्रेष्ट्ता की होड़ शुरू हो गयी थी । जिससे इन धर्मो में कई कुरीतिया फ़ैल चुकी थी खजुराहो के मंदिर तांत्रिक धर्म से प्रभावित है । कहते है की तंत्र बाद के अनुसार सृष्टि का विकास शिव तथा शक्ति के संयोग से होता है । । मानव जीवन धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन 4 पुरुषार्थो पर निर्भर थे । खजुराहो के मंदिर के बाहरी दीवारों पर उस समय सभी सामाजिक रीति रिवाजो की छोटी छोटी झाकिया कला के माध्यम से इन मंदिरो के दीवारों पर बड़ी सुन्दरदा के साथ देखने को मिलती है ।
जैसे
- सामजिक परिश्थितियां
- पंचायती व्यवस्था
- राजशी दंड संबिधान
- सामाजिक कार्य प्रणाली
- युद्ध और सेना के कार्य कुशलता
खजुराहो के अधिकतर मंदिरो की शिल्पकारी उत्तर भारत शिल्पकारी मानी जाती है जिसमे वक्रीय शिल्पकारी में संधार और निराधार 2 शैलियों में मंदिर बनाये गए है । संधार शैली में एक ऊंचे चबूतरे पर मंदिर बनाये जाते है और जिसमे वक्रीय आकर में एक बहुत बड़ा शिखर होता है मंदिर के गर्व गृह में देव मूर्ति स्थापित की जताई है । और दरवाजा अर्धमंडप के आकर का होता है । इन मंदिरो में अफ़सरायो और देवी देवताओं के अवतारों से सजी मूर्तियों को बिशेस रचना बद्ध क्रम में धार्मिक दृष्टकोण का बर्णन किया गया है । पूरे विश्व में सबसे पहले संधार शैलईयो के मंदिर खजुराहो में ही बनाये गए थे ।
शाक्त दर्शन
यहाँ शाक्त दर्शन भी देखने को मिलता है जिसमे शाक्त दर्शन की परिकल्पना के अनुसार नारी प्रेरणा का उद्गम स्थल है और पुरुष उससे प्रेरित होकर बड़े बड़े काम करता है बमन चार के साधना के कारण शक्त दर्शन बहुत बदनाम हुआ था दार्शनिक दृष्टि से शाक्त दर्शन आद्वद दर्शन है इस दर्शन के अनुसार शक्ति के मूल में जो वास्तविक तत्व है उसका नाम शिव शक्ति है । और इसका स्वभाव सच्चिदानंद है और शिव अचल है और शक्ति गतिमान है शक्ति की 2 स्थिति होती है
- बिद्या
- माया
बिद्या चेतन उत्त्पन्न करती है और अबिद्या माया की प्रतीक है माया शक्ति से एक से अनेक बनता है खजुराहो के मंदिर की कामुक प्रतिमाये भाग्य और धन की और इशारा करती है सांसारिकता से अवगत करवाती है । ये प्रतिमाये इस बात का संकेत देती है की कामुकता मार्ग से आगे आने पर 2 अवस्थाये होती है योग और भोग भोग की अवस्था में शारीरिक सुख की छड़ीक अवस्था से आगे बढ़कर जब मनुष्य योग की अवस्था में आता है आत्म तृप्त होता है तभी आत्मा ब्रह्म का ज्ञान होता है । खजुराहो के मंदिर ये दर्शाते है की मनुष्य की माया कभी लुप्त नहीं होती और जब तक माया लुप्त नहीं होती तब तक यह जीवन परम ब्रह्म को प्राप्त नहीं कर पता है । इसीलिए इन मंदिरो के पीछे दीवाल में कामसूत्र कला कृतियाँ की गयी है ।
खजुराहो में घूमने की प्रमुख जगह। tourist place khajuraho in hindi
1)चौसठ योगिन मंदिर खजुराहो
वैसे तो भारत में चुनिंदा स्थानों में ही चौसठ योगिनी मंदिर बनाये गए है लेकिन यह मंदिर भारत का सबसे पुराना चौसठ योगिनी मंदिर है । इसकी इस विशाल भव्य मंदिर का निर्माण 9 वी शताव्दी में हुआ था । अतः इस मंदिर को ग्रेनिटे पत्थरो से बिशेष रूप से बनाया गया था । यह एक मात्र ऐसा चौसठ योगिनी मंदिर है जो आयताकार में बनाया गया था बाकि के भारत में जितने भी इन मंदिरो का निर्माण किया गया है वो सभी गोलाकार अथबा वृत्ताकार यानि के गोल है इस मंदिर के आयताकार के चारो तरफ 64 देवी के अलग अलग अवतार बनाये गए है तथा उन के बीच में पड़ता है प्रमुख मंदिर जो हिंदी धर्म के भगवान् शंकर और पार्वती को समर्पित है ।
2)कंदरिया मंदिर
इस मंदिर का निर्माण पंचायतन शैली में किया गया है खजुराहो का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा प्रिशिद्ध मंदिर कंदरिया मंदिर है जो भगवान् शिव को समर्पित है। पंचायतन शिल्य का मंदिर सबसे पहले 9 वी और 10 वी शताब्दी में खजुराहो में बनाये गए थे इसमें 5 मंदिर बनाया जाता है मुख्य चबूतरों के चारो कोने पर छोटे छोटे मंदिरो का निर्माण किया जाता है ।
- पहला भाग -अर्ध्य मंडप कहलाता है
- दूसरा भाग -मंडप कहलाता है जो पिरामिड के आकर का होता है
- तीसरा भाग -महामंडप और नृत्य शाला जिसमे देवदासियां नृत्य करती है और
- चौथा भाग- जिसमे वक्रीये आकृति का एक ऊचा शिखर होता है ।
इसमें बीच का मुख्य मंदिर चतुष्पदीय संरचना का होता है । और इन पांचो संरचना कंदरिया मंदिर में की गयी है । कंदरिया महादेव मंदिर में सबसे ज्यादा स्त्री और पुरुष मैथुन कामुक प्रतिमाओं को दिखाया गया है इन मूत्रियो को इतनी सहजता से बनाया गया है की कुछ मूर्तिया इतनी जीवंत लगती है की मनो ये बोल पड़ेगी । इस मंदिर की कलाकृतिया देखकर यहाँ आने बाले पर्यटक भौचक्के रह जाते है ।इसकी स्थापत्यि कला और बस्तुकला की सुन्दर बारीकियों को देखने के लिए देश विदेश से शैलानी यहाँ भारी संख्या में आते है ।
3)जवारी टेम्पल
यह मंदिर अपने बेहद कठिन बनाबट की बजह से जाना जाता है इसका बनाबट इस प्रकार है की आज के आधुनिक युग में अगर मशीनों से इसका निर्माण किया जाये तब भी इसके जैसा संभव नहीं है । यह मंदिर भगवान् वृष्णु को समर्पित है इस मंदिर की बनाबट मुड़े हुए पठारों की सहायत से बड़ी ही सुन्दर शिल्पकारी के साथ बनाया गया है ।
4)लक्ष्मण मंदिर खजुराहो
यह मंदिर भगवान् वृष्णु को समर्पित है इसकी अद्भुत संरचना और सैकड़ो मूर्तियों की बजह से ये मंदिर पर्यटकों का मुख्य केंद्र माना जाता है ।laxamn मंदिर पश्चमी समूह के मंदिर में आता है । इस मंदिर के बाहरी दीवाल में शंखधारी वृष्णु अंकित है नारी पुरुष तथा अन्य प्राणियों के अंतरंग प्रतिमाओं का निर्माण देखने को मिलता है यदि आप कला या पर्यटन प्रेमी है तो विश्व प्रसिद्द खजुराहो घूमने जरूर आईये ।
5)मतंगेश्वर मंदिर
मतंगेश्वर महादेव मंदर का निर्मणा चंदेल साम्राज्य के राजा हर्ष देव ने करवाया था खजुराहो में बने अन्य मंदिरो की तरह इसकी शिल्प कला बिशिस्ट नहीं बल्कि साधारण है । लेकिन खास बात इस मंदिर के साथ ये है की जहा अन्य मंदिरो में पर्यटकों की भीड़ होती है वही इस मंदिर में पर्यटकों के साथ साथ श्रद्धालुओं की भी भीड़ होती है ।
6) बराह मंदिर
ये मतंगेश्वर मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थि है इस मंदिर में बिराजमान मूर्ती की बिशेषता है की इसके ऊपर 674 हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाये उत्कीर्ण है ।
7)जगदम्बी मंदिर खजुराहो
यह मंदिर कंदरिया मंदिर के उत्तरी भाग में पड़ता है ये मंदिर देवी पारवती को समर्पित है कहा जाता है की इस मंदिर में पहले महादेव बिराजमान थे लेकिन बाद में छतरपुर के राजा महादेव जी की प्रतिमा की जगह माता पारवती की मूर्ती रखवा दिए तब से इस मंदिर का न जगदम्बी मंडी पड़ा ।
8)विश्वनाथ मंदिर खजुराहो
इस मंदिर की संरचन लक्समन मंदिर की तरह ही है ये पश्चिमी मंदिरो के दिशाओ में आता है इसकी उत्तरी भाग में शेर तथा दक्षिणी भाग में हाथी क विशाल प्रतिमा बानी हुयी है । विश्वनाथ मंदिर भी भगवान् शिव का मंदिर है इस मंदिर का निर्माण राज चन्देल ने कराया था ।
9)सूर्या मंदिर ( चित्रगुप्त मंदिर )
खजुराहो में बने मंदिरो में से एक है चित्र गुप्त मंदिर ये खजुराहो मंदिर समूह के पश्चिमी दिशा में पड़ता है । ये मंदिर सूर्य देव को समर्पित है इस मंदिर की खास बात यह है की सूर्या देवता की 7 फिट उच्ची प्रतिमा जो 7 घोड़ो के रथ में सवार है और इसकी एक बिशेषता यह भी है की इस मंदिर में शिल्पकार की प्रतिमा मूर्ती बनाते हुए स्पस्ट रूप से दिखाया गया है ।
10)आदिनाथ जैन मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 12 वी शताब्दी में चंदेल के राज मदन बर्मन के द्वारा कराय गया है यह जैन मंदिर है शांति और आदर्श का प्रतीक है ।
11)शांतिनाथ
ये मंदिर जैन धर्म के भगवान् शांतिनाथ जी की 15 फिट उची प्रतिमा बनायीं गयी है ये मंदिर जैन धर्म के तीर्थ स्थलों में से एक मन गया है । इसका निर्माण 15 वी शताबरी में किया गया है ।
12)महिषासुर मर्दिनि मंदिर
ये मंदिर माँ दुर्गा को समर्पित है कहते है की इस मंदिर की शिल्प कारी बड़े ही ढंग से बनाया गया है वैसे तो खजुराहो में सभी मंदिर बड़े ही अच्छे ढंग से बनाये गए है लेकिन ये दुर्गा समर्पित मंदिर की बात ही अलग है । इन सभी मंदिरो के अलाबा भी यहाँ पर 10 और मंदिर ऐसे ही मौजूद है जो इस प्रकार है
खजुराहो में कौन -कौन से मंदिर है
- वृषनु मंदिर
- गणेश मंदिर
- चौसठ योगिन मंदिर
- लक्ष्मी मंदिर
- कंदरिया मंदिर
- लक्ष्मण मंदिर
- देवी जगदम्बा मंदिर
- सूर्य मंदिर
- विश्व नाथ मंदिर
- परशुनाथ मंदिर
- हनुमान मंदिर
- ब्रीष्णु मंदिर
- दुलादेव मंदिर
- घंटाई मंदिर
- चतुर्भुज मंदिर
- परश्या नाथ मंदिर
- लालगुन महादेव मंदिर
- ब्रह्मा मंदिर
- बमन मंदिर
- महिषासुरमर्दिनि मंदिर
- शांतिनाथ
- आदिनाथ जैन मंदिर
- मांटगेस्वर मंदिर
खजुराहो में इन सभी मंदिरो की प्राचीन शिल्पकाल के माध्यम से बड़े ही सहजता से बनाया गहा है ।
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