Best 16 कुरुक्षेत्र में घूमने की जगह kurukshetra tourist place in hindi
नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम भारत के हरियाणा राज्य के अंतर्गत महाभारत युद्ध का साक्षी रहा कुरुक्षेत्र के बारे में बात करने जा रहे हैं अगर आप कुरुक्षेत्र घूमने का प्लान कर रहे हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए जिससेआपको कुरुक्षेत्र में घूमने की जगह तथा कुरुक्षेत्र तीर्थ को घूमने में कभी आदर्श सहूलियत मिलेगी।
आगे आप इस लेख में जानेंगे कुरुक्षेत्र कब जाना चाहिए, कैसे पहुंचे, वहां रुकने तथा खाने पीने की क्या व्यवस्था होगी ,और अंत में ये भी बताएँगे कुरुक्षेत्र पर्यटन स्थल को घूमने में प्रति व्यक्ति कुल खर्च कितना आ जाएगा ।
अगर हम कुरुक्षेत्र के इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस स्थान को राजा कुरु के द्वारा स्थापित किया गया था।
कुरुक्षेत्र का नाम सुनते ही हमें धार्मिक भावनाओं के साथ साथ इसके बारे में जानने की जिज्ञासा होने लगती है।
कुरुक्षेत्र के रास्ते में चलते हुए आपको महाभारत कालीन कलाकृतियां और उस समय के श्लोक जगह जगह पर लिखे हुए दिखाई देंगे।
कुरुक्षेत्र का इतिहास
कुरुक्षेत्र में घूमने की जगह
1. ब्रह्म सरोवर कुरुक्षेत्र
2. गीता उपदेश स्थली ज्योतिसर कुरुक्षेत्र
3. कल्पना चावला तारामंडल
4. देवीकूप भद्रकाली मंदिर
5. सनहित सरोवर
6. श्री कृष्ण म्युसियम
7. नरकातारी
8. भीष्म कुंड
9. पिपली मिनी जू
10. धरोहर, हरियाणा कल्चर म्यूजियम
11. कुरुक्षेत्र पैनोरमा और विज्ञान केंद्र
12. कुरुक्षेत्र का बिरला मंदिर
13. गढ़रथेश्वर तीर्थ
14. हर्ष का टीला
15. शेख चिल्ली का मकबरा
16. स्थानेश्वर महादेव मंदिर
कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे ?
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कुरुक्षेत्र का इतिहास
पौराणिक कथाओं के कुरुक्षेत्र का पुराना नाम कुरुओं की भूमि से उत्पन्न हुआ इसका नाम प्राचीन राजा कुरु के नाम पर कुरुक्षेत्र रखा गया है।
एक कथा के अनुसार एक बार राजा कुरु ने यमदूत के भैंसो तथा भगवान शिव के नंदी बैल के द्वारा सोने के हल चलाकर अपने हांथो से यहाँ स्वयं जोताई किये थे ।
तब भगवान विष्णु ने उनसे पूछा कि आप यहां क्या कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि इस क्षेत्र में मैं अपने शरीर के बीज से अध्यात्म की फसल उगाऊंगा ।
तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र के उनके टुकड़े-टुकड़े करते हुए उन्हें वरदान दिया कि यह क्षेत्र धर्म क्षेत्र यानी कि कुरुक्षेत्र कहलाएगा तभी से इस स्थान का नाम कुरुक्षेत्र पड़ा ।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में कुरुक्षेत्र लगभग 48 कोस के दायरे में फैला हुआ था जिसके भीतर कई तीर्थ स्थल मंदिर, झील, शामिल है जिनके साथ महाभारत के समय कौरव और पांडवों के कई घटनाओं से जुड़े हुए हैं और यहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
इसीलिए वीरों के इस धरती में इन्हीं के अनुरूप कुरुक्षेत्र के पर्यटन स्थल भी हैं चलिए जानते हैं आखिर वह कौन से कुरुक्षेत्र में घूमने लायक जगह जिनका दीदार करने हर बार भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।
कुरुक्षेत्र में घूमने की जगह
आइए जानते हैं आखिर वह कौन से कुरुक्षेत्र में घूमने वाली जगह कौन-कौन सी हैं जिन्हें हर टूरिस्ट को जरूर देखना चाहिए।
1. ब्रह्म सरोवर कुरुक्षेत्र
महाभारत कालीन ब्रह्म सरोवर कुरुक्षेत्र ब्रह्म सरोवर कुरुक्षेत्र तीर्थ वही स्थान है जहां भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की थी इसलिए हर जगह हिंदू तीर्थ स्थलों का पावन धाम माना जाता है।
हिंदू तीर्थ स्थानों में इस सरोवर का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है कहा कहा तो यह भी जाता है कि यहां अपने जीवन काल में हर मनुष्य को एक बार इस सरोवर में स्नान जरूर करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर मोक्ष की प्राप्ति मिलते हैं।
- यहां पर मूर्ति स्ट्रक्चर के रूप में गुरु द्रोणाचार्य के द्वारा शिष्यों को दिया जाने वाला उपदेश के साथ-साथ कई महा ऋषि-मुनियों के द्वारा हो रहे संवाद तथा ब्रह्मा जी के द्वारा शिवलिंग की स्थापना की बड़ी सुंदर कलाकृतियां डिजाइन की गई हैं ।
- ब्रह्मसरोवर के पास मूर्ति रुप में महाभारत के संपूर्ण कालचक्र को कलाकृतियों के द्वारा प्रस्तुत किया गया है जिसे देखने के बाद आपको महसूस होगा कि आप महाभारत काल में जी रहे हैं।
- इस सरोवर में हर वर्ष सर्दियों के समय यानी की नवंबर दिसंबर में यहां गीता समारोह किया जाता है जिसमें लाखों करोड़ों श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर स्नान के लिए यहां आते हैं.
2. गीता उपदेश स्थली ज्योतिसर कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपना दैवीय रूप दिखाकर को गीता का उपदेश इसी स्थान पर दिया था और उस समय इसका साक्षी रहा बरगद का पेड़ जो कि आज भी यहां मौजूद है।
हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन इस स्थान पर गीता जयंती मनाई जाती है तब ज्योतिसर में लाखों की तादाद में दूर-दूर से श्रद्धालु इस गीता के पाठ में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं।
आज के समय में इस स्थान का कुरुक्षेत्र में धार्मिक स्थल की दृष्टि से विशेष महत्व है इसीलिए कुरुक्षेत्र की पावन धरती में आने वाला हर श्रद्धालु या पर्यटक इस पावन नगरी में जरूर घूमने जाता है।
3. कल्पना चावला तारामंडल
कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर रोड पर स्थित यह म्यूजियम है जोकि खगोल वैज्ञानिक कल्पना चावला के याद में बनवाया गया है।
लगभग 5 एकड़ के परिसर के भीतर उनके संपूर्ण जीवन के उपलब्धियों को बड़े खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया गया है।
इसके अंदर जाते ही आपको महसूस होगा कि आप सच में स्पेस में है इसे वर्चुअल तरीके से बनाया गया जो एहसास कराता है कि हम धरती से ऊपर आसमान की सैर कर रहे हैं यानी कि तारों के बीच में।
जब आप इसके अंदर जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि ब्रह्मांड की बहुत सारी चीजों को आप अपनी आंखों से देख पाएंगे जो चल चित्रों तथा प्रैक्टिकली रूप से वहां कर भी पाएंगे ।
इतना ही नहीं यहां जाने के बाद आपको विभिन्न ग्रहों यानी कि अलग-अलग ग्रहों में आपका वजन कितना रहेगा यह भी देख सकते हैं इसके अलावा सूर्य की रोशनी किस प्रकार हमारे धरती में आती है और किस देश में कितना टेंपरेचर होता है इन सभी चीजों के यहां बखूबी जान पाएंगे ।
तो दोस्तों जब भी आप कुरुक्षेत्र घूमने के लिए जाएं तो कल्पना चावला तारामंडल जरुर विजिट करिएगा यहां आपको एक अलग ही एक्सपीरियंस मिलेगा।
4. देवीकूप भद्रकाली मंदिर
कुरुक्षेत्र में धार्मिक स्थल का महत्वपूर्ण हिस्सा भद्रकाली मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा दक्ष ने विशाल महायज्ञ का आयोजन किया और उस में संपूर्ण ब्रह्मांड के देवी देवताओं को आमंत्रण किया और भगवान शिव को अनदेखा कर दिया।
तब देवी सती वहां पहुंचती हैं और अपने पिता दक्ष के द्वारा किए गए पति शिव के अपमान को सहन नहीं कर पाती और उस हवन कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग कर देती हैं।
जब वहां भगवान शिव पहुंचते हैं तो अपनी पत्नी सती के मृत शरीर को अपनी बाजू में उठाकर संपूर्ण ब्रह्मांड में तांडव करने लगते हैं उन्हें ऐसा करते देख भगवान विष्णु जिसे यह मार्मिक दृश्य देखा नहीं गया तब उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर को 52 हिस्सों में काट देते हैं।
और जहां-जहां देवी सती के टुकडे गिरते हैं तो वहां वहां एक 1 शक्तिपीठ का निर्माण होता जाता है और उन्हीं में से एक है देवीकूप भद्रकाली मंदिर यहां माता सती का दाएं पैर का टखना गिरा था।
इसीलिए इस स्थान को श्रद्धालु तीर्थ स्थल के रूप में पूजा अर्चना करने के लिए प्रतिदिन हजारों लोग अपनी मनवांछित इच्छा लेकर आते हैं लेकिन यही नवरात्रि के समय लाखों-करोड़ों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
5. सनहित सरोवर
कुरुक्षेत्र से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 7 पावन सरस्वती का संगम कहे जाने वाले सनहित सरोवर मौजूद है इस स्थान को भगवान विष्णु का स्थाई निवासी स्थान भी कहा जाता है।
7 नदियों के पानी का शामिल होना इसीलिए इस सरोवर में स्नान करने का खासा महत्व है विशेषकर अमावस्या और सूर्य ग्रहण के दौरान।
इसका उल्लेख महाभारत के गीता में किया गया है कि प्रत्येक माह के हर अमावस के दिन सभी तीर्थों का जल यहां आकर मिल जाता है ।
इस सरोवर में महाभारत की समाप्ति के बाद सभी योद्धाओं के मुक्ति के लिए पिंडदान यही किया गया था इसलिए हर वर्ष यहां लाखों लोग आकर अपने पूर्वजों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान करते हैं।
जब भी आप कुरुक्षेत्र में घूमने आए तो अपने लिस्ट में इस जगह को जरूर शामिल करिएगा और यहां डुबकी लगाएगा।
6. श्री कृष्ण म्युसियम
कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर से पैदल दूरी पर स्थित श्री कृष्ण म्यूजियम देश का इकलौता ऐसा संग्रहालय है जो कि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है यहां उनके जीवन के शुरुआती दिनों से लेकर द्वारिका जाने तक के सफर को बड़ी सुंदरता के साथ प्रदर्शित कर रहा है।
इसके अलावा इस म्यूजियम में सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीन वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया गया।
जब भी आप कुरुक्षेत्र में घूमने की जगह देखने के लिए जाएं तो श्री कृष्ण म्यूजियम को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें यहां आपको गोकुल से लेकर जगन्नाथ पुरी ,द्वारिका नगरी तक के सफर को बड़ी खूबसूरती के साथ प्रदर्शित किया गया।
7. नरकातारी
महाभारत कालीन यह वही स्थान है जहां गंगापुत्र भीष्म पितामह ने अर्जुन के बाणों की शैया में लेट गए थे और यहीं पर उन्होंने महाभारत समाप्ति के बाद अपनी इच्छा मृत्यु के अनुसार प्राण त्यागे थे ।
प्राण त्यागने से पहले उनके अपने सबसे चहेते पांडव पुत्र अर्जुन समेत सभी भाई और द्रोपती सहित भीष्म पितामह से मिलने पहुंचे और उन्होंने उन्हें शांति का संदेश दिया।
धार्मिक दृष्टि से यह स्थान बहुत ही पावन पवित्र इसी कारण प्रतिदिन यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है
8. भीष्म कुंड
कुरुक्षेत्र के नरकातारी गांव में स्थित भीष्म कुंड का पौराणिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कहा जाता है कि अर्जुन के बाणों से जब भीष्म पितामह घायल हो गए और उन्हें प्यास लगी तो उन्होंने पानी के लिए आग्रह किया।
और आगे कहते हैं कि जिन्होंने हमें इस हालत मैं जमीन पर लेट आया है उन्हीं के हाथों से मैं पानी पियूंगा।
तब अर्जुन ने धनुष बाण उठाया और धरती में तीर चलाया तब पृथ्वी से बड़े जोर से पानी के फव्वारे निकलने लगे जिन्हें बाणगंगा तथा भीष्म कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
9. पिपली मिनी जू
कुरुक्षेत्र का पॉपुलर पिकनिक स्पॉट पिपली जू जो बस स्टैंड के पास स्थित है यह जूलॉजिकल पार्क प्रकृति प्रेमियों के लिए काफी शानदार है
यहां विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर शेर, चीता, भालू ,हिरण ,गोरिल्ला इत्यादि प्रकार के जानवर तथा सैकड़ों प्रकार के पक्षियों के समूह को यहां देखा जा सकता है।
10. धरोहर, हरियाणा कल्चर म्यूजियम
इस म्यूजियम में हरियाणा राज्य के विभिन्न विभिन्न जनजातियों के रहन सहन तथा सांस्कृतिक गतिविधियां और उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाली वस्तुएं, कलाकृतियां ,पेंटिंग ,उनके आशियाने, नाच गाने, को बखूबी देखा जा सकता है।
हरियाणा राज्य की संस्कृति को अगर एक जगह पर रह कर देखना चाहते हैं तो धरोहर म्यूजियम में आपको सभी चीजें देखने के मिल जाएंगे ।
11. कुरुक्षेत्र पैनोरमा और विज्ञान केंद्र
विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए पैनोरमा विज्ञान केंद्र बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यहां पर साइंस से रिलेटेड कई सारे उपकरण बनाए गए हैं जिन्हें देखने के बाद आपको फील होगा की आज की दुनिया कितना आगे निकल चुके हैं और हम कितना कुछ पीछे छोड़ आए।
इतना ही नहीं यहां महाभारत युद्ध के मैदान में योद्धाओं के द्वारा की जाने वाली लड़ाइयां को मूर्त रूप में प्रदर्शित किया गया।
12. कुरुक्षेत्र का बिरला मंदिर
हरियाणा के तीर्थ स्थल का एक और प्रसिद्ध हिस्सा बिरला मंदिर जिसे स्वामीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां स्थापित की गई राधा कृष्णा के साथ-साथ हिंदू धार्मिक तीर्थ स्थलों के और भी कई देवी-देवताओं की जीवंत लगने वाली मूर्तियां जो किसी को भी अपनी सुंदरता का कायल बना सकती हैं इन मूर्तियों को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि आप से कुछ कहने वाली है।
13. गढ़रथेश्वर तीर्थ
महाभारत कालीन यह वही स्थान है जहां पर अर्जुन ने कर्ण का वध किया था और यह कुरुक्षेत्र से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित गढ़रथेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
यहां पर मौजूद एक सरोवर है जिसके बारे में पौराणिक महत्व मिलता है कहा जाता है कि इसका निर्माण जब अर्जुन के बाणों की शैया में लेटे हुए कारण अपनी अंतिम सांसे ले रहे थे तब उन्होंने अपने बाणों से धरती में प्रहार किया और बाणगंगा का निर्माण हुआ।
14. हर्ष का टीला
रहस्य से भरा हुआ हिंदू राजा हर्षवर्धन का यह किला लगभग 1400 साल पुराण छठवीं शताब्दी में बनवाया गया था.
यहां जाने के बाद आप देख पाएंगे उस जमाने के राजा महाराजाओं के रहन-सहन और उनके राजशाही जीवन के उतार-चढ़ाव के साथ-साथ उस समय उपयोग किए जाने वाले औजारों वस्त्रों और भी कई अन्य चीजें आपको देखने के लिए इस ऐतिहासिक धरोहर में मिल जाएगी.
इस ऐतिहासिक इमारत में देखने के लिए बहुत सारी चीजें मिल जाएंगे जैसे कि हर्ष के किले की सुरंग, खूनी दरवाजा, म्यूजियम, और इन सब के साथ ही इसके भीतर प्राचीन युगों की कलाकारी और नक्काशी को बखूबी देखा जा सकता है।
15. शेख चिल्ली का मकबरा
कुरुक्षेत्र के दायरे में बना शेख चिल्ली का मकबरा अपनी आर्किटेक्चर और बेहतरीन नक्काशी के लिए पर्यटकों के बीच बहुत ही मशहूर है।
इसकी वास्तुकला का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इससे ताजमहल के बाद दूसरा सबसे खूबसूरत इमारत होने का गौरव प्राप्त है।
16. स्थानेश्वर महादेव मंदिर
कुरुक्षेत्र के 48 कोस के दायरे में तथा थानेसर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्थानेश्वर महादेव मंदिर करना था महाभारत काल से ही है माना जाता है कि महाभारत युद्ध से पहले पांचों पांडवों ने यहीं पर अपने विजय हासिल करने के लिए भगवान शिव की पूजा अर्चना किए थे।
ऐसा भी कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र आने वाले तीर्थ यात्रियों की यात्रा का फल तक तक नहीं मिलता जब तक वह भगवान शिव की इस मंदिर में अपनी हाजिरी लगाने नहीं आते
कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे ?
भारत के किसी कोने से कुरुक्षेत्र पहुंचना बहुत ही आसान है कारण यह है कि यह देश की राजधानी नई दिल्ली से मात्र 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तो चलिए जानते हैं कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे-
बाया ट्रेन
कुरुक्षेत्र रेलवे जंक्शन दिल्ली से अंबाला जाने वाली रेलवे लाइन पर स्थित है तथा यह देश के सभी बड़े शहरों से रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ।
अगर आपके शहर से डायरेक्ट कुरुक्षेत्र के लिए ट्रेन नहीं मिलती तो दिल्ली पहुंचकर कुरुक्षेत्र के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं
बया हवाई जहाज
कुरुक्षेत्र का निकटतम हवाई अड्डा नई दिल्ली है जिसकी दूरी कुरुक्षेत्र से 160 किलोमीटर की है वहां से डायरेक्ट कुरुक्षेत्र के लिए टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
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